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Slow Hindi – Microfinance (Part 8)

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Hi, my name is Altergyan and today we have a slow Hindi lesson where I will read part of a wikipedia.org article to you slowly in Hindi.  This will give you a chance to practice reading Hindi.    Today we continue on to the next session in the Wikipedia.org article on microfinance or लघु वित्त in Hindi.

http://hi.wikipedia.org/s/xoe

समग्र वित्तीय प्रणाली

1970 के दशक में शुरू हुआ लघु-ऋण का युग समाप्त होकर अब उसकी जगह ‘समग्र प्रणाली’ दृष्टिकोण ने ले ली है। हालांकि लघु-ऋण ने, ख़ास कर शहरी और लगभग शहरी इलाकों में तथा उद्यमशील परिवारों के साथ बहुत कुछ हासिल किया, लेकिन घनी आबादी वाले ग्रामीण इलाकों में वित्तीय सेवाएं प्रदान करने में इनकी प्रगति धीमी रही.

नई वित्तीय प्रणाली के दृष्टिकोण में शताब्दियों से चलते आ रहे व्यष्टि-वित्त के समृद्ध इतिहास को और विकासशील दुनिया में ग़रीब लोगों की सेवा करने वाली संस्थाओं की असीम विविधता को व्यावहारिक दृष्टि से क़बूल किया जाता है। इसकी जड़ें, दुनिया के ग़रीब लोगों की वित्तीय सेवाओं की ज़रूरतों की विविधता, बढ़ती जागरूकता और ऐसे विविध परिवेश में भी, जिसमें वे जीते और काम करते हैं, जमी हैं।

ब्रिगिट हेम्सस ने अपनी क़िताब ‘एक्सेस फ़ॉर ऑल’ में, समग्र वित्तीय प्रणाली से व्यष्टि वित्तपोषकों की चार सामान्य श्रेणियों के बीच भेद किया और व्यष्टि-वित्त आंदोलन का लक्ष्य हासिल करने में उनकी मदद करने के लिए सक्रिय रणनीति बनाने की दलील देती हैं।[21]

 

Thank you for joining us.  Hope to see you back here soon.

 

Try reading the rest of the section on your own.

 

अनौपचारिक वित्तीय सेवा प्रदाता

इनमें शामिल हैं, साहूकार, गिरवी रखने वाले महाजन, बचत वसूलीकर्ता, धन-रक्षक, ROSCA, ASCA और वस्तुओं की आपूर्ति करनेवाली दुकानें. चूंकि वे आपस में एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं और एक ही समुदाय में रहते हैं, इसलिए वे एक-दूसरे की वित्तीय परिस्थितियों को समझते हैं और बहुत ही लचीली, अनुकूल और तेज सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। ये सेवाएं क़ीमती भी साबित हो सकती हैं और वित्तीय उत्पादों की पसंद सीमित और उनकी अवधि बहुत ही कम हो सकती है। ऐसी अनौपचारिक सेवाएं भी जिनमें बचत करने की सुविधा हो, ख़तरे से खाली नहीं होतीं; कई लोग अपना पैसा खो देते हैं।

सदस्य के स्वामित्व वाले संगठन

इनमें शामिल हैं स्व-सहाय दल, क्रेडिट यूनियन और विभिन्न प्रकार के संकर संगठन जैसे ‘वित्तीय सेवा संघ’ और CVECA. अपने अनौपचारिक रिश्तेदारों के समान, वे सामान्यत: छोटे और स्थानीय होते हैं, जिसका मतलब यह हुआ कि उनको एक-दूसरे की वित्तीय परिस्थितियों के बारे में अच्छी खासी जानकारी रहती है और अनुकूल तरीक़े से और लचीले ढंग से सेवा प्रदान कर सकते हैं। चूंकि इसे ग़रीब लोग ही संभालते हैं, इसलिए इसका परिचालन खर्च कम होगा. लेकिन इन सेवा प्रदाताओं के पास वित्तीय कुशलता की कमी होती है और आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर मुसीबत में पड़ सकते हैं या उनका परिचालन अधिक जटिल हो सकता है। अगर कारगर ढंग से इनकी सु-व्यवस्था और देखभाल न की जाए तो इनको एक या दो प्रभावी नेता हड़प सकते हैं और सदस्य अपना पैसा खो सकते हैं।

ग़ैर सरकारी संगठन

लघु-ऋण शिखर अभियान ने, 2006 के अंत तक क़रीब 133 मिलीयन ग्राहकों को उधार देनेवाली इन व्यष्टि वित्त संस्थाओं और ग़ैर सरकारी संगठनों में से 3,316 की गिनती की है।[22] बांग्लादेश में ग्रामीण बैंकऔर BRACबोलिविया में प्रोडेम और FINCA इंटरनेशनल, जिसका मुख्यालय वाशिंगटन, DC में है, के नेतृत्व में ये ग़ैर सरकारी संगठन, पिछले तीन दशकों में विकासशील दुनिया में फैल गए हैं; अन्य, जैसेगमेलन परिषद, बडे क्षेत्रों को संभालते हैं। ये बेहद नवोन्मेषी साबित हुए हैं, जिन्होंने परस्पर-निर्भर उधारग्रामीण बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग जैसे नए बैंकिंग तकनीकों का अन्वेषण किया, जिनकी बदौलत ग़रीब आबादी की सेवा में पाई गई अड़चनें दूर की गई हैं। लेकिन, अगर ऐसे मंडल हों जो अपनी पूंजी या अपने ग्राहकों का अनिवार्य तौर पर प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, उनकी शासन रचना कमज़ोर हो सकती है और वे, बाहर के दानियों पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर हो सकते हैं।

औपचारिक वित्तीय संस्थान

वाणिज्यिक बैंकों के अतिरिक्त, इनमें शामिल हैं राज्यों के बैंक, कृषि विकास बैंक, बचत बैंक, ग्रामीण और बैंकेतर वित्तीय संस्थाएं. इनको विनियमित किया जाता है और इनकी देख-भाल की जाती है और ये विभिन्न प्रकार की वित्तीय सेवाएं पेश करते हैं और एक ऐसे शाखा जाल को संभालते हैं जिसका फैलाव देश भर और दुनिया भर में हो सकता है। लेकिन वे सामाजिक लक्ष्य अपनाने से कतराते हैं और परिचालन खर्च अधिक होने के कारण, वे ग़रीबों अथवा दूरस्थ आबादी की सेवा नहीं कर पाते हैं। साख गणना जैसे व्या़पार ऋण में वैकल्पिक आंकड़ों के बढ़ते उपयोग से व्यष्टि-वित्त में वाणिज्यिक बैंकों का ब्याज बढ़ रहा है।[23]

उचित विनियमन और देख-भाल के साथ, इन संस्थाओं में से हर एक, व्यष्टि-वित्त की समस्‍या का समाधान करने में प्रेरक साबित हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, स्व-सहाय दल को वाणिज्यिक बैंकों के साथ जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे कि सदस्य की मिल्कियत के संगठन एक साथ मिल कर बडे पैमाने पर और व्यापक रूप से मितव्ययिता हासिल कर सकें और मोबाइल बैंकिंग और ई-भुगतान प्रौद्योगिकियों का, उनके व्यापक शाखा जाल के साथ एकीकरण करते हुए, इनकी संख्या घटाने में वाणिज्यिक बैंकों के प्रयासों का समर्थन कर सकें.

(from: http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A4%98%E0%A5%81_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4 )

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